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कबीर साहब की उलटबासियों को कैसे समझें? || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-08-02 72 Dailymotion

‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />वीडियो जानकारी: 24.5.24 , अनौपचारिक सत्र , ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग: <br />~ उलटबाँसी का क्या अर्थ होता है?<br />~ प्रकृति पर चलना जीवन का बंधन क्यों है?<br />~ सौ ज्ञानियों पर कौन भारी पड़ता है?<br />~ तिल समान तो गाय है में कबीर साहब गाय किसको कह रहे हैं?<br />~ जीवन में दुख कैसे हटाएं?<br /><br />एक अचम्भा हमने देखा, कुएँ में लग गई आग।<br />कीचड़ कादो सबही जरिगा, मछली खेले फाग॥<br />~ संत कबीर<br /><br />एक अचम्मा हमने देखा, गदहा के दो सींग।<br />उसके गले में रस्सा बाँधा, खैचत अर्जुन भीम ॥<br />~ संत कबीर<br /><br />तिल समान तो गाय है, बछड़ा नौ-नौ हाथ।<br />मटकी भरि-भरि दुहि लिया, पूँछ अठारह हाथ।<br />~ संत कबीर<br /><br />साँझ पड़ी दिन ढल गया, बाघिन घेरी गाय।<br />गाय बिचारी न मरी, बाघिन न भूखी जाय।।<br />~ संत कबीर<br /><br />एक अजूबा हमने देखा, मुर्दा रोटी खाये।<br />समझाने से समझत नाही, लात पड़े चिल्लाय ॥<br />~ संत कबीर<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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