♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />वीडियो जानकारी: 15.02.24 , गीता समागम , ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।<br />मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश:।। ४.११ ।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 11<br /><br />अर्थ: <br />जो जैसे मुझे भजता है, मैं भी उन्हें वैसे ही भजता हूँ। जो मनुष्य जिस भी मार्ग पर चल रहा हो, <br />चल तो वो मेरे ही मार्ग पर रहा है।<br /><br />लंबे उल्टे रास्तों पर<br />मुझे खोजते धाते हो<br />रुको साफ़ देखो भीतर <br />बोलो किसे तुम पाते हो<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />~ अपनी सच्चाई और परम तत्व के ज्ञान में क्या संबंध है?<br />~ पारस्परिकता का सिद्धांत और आत्मपरकता का सिद्धांत क्या होता है?<br />~ कृष्ण कौन हैं यह कैसे तय करें?<br />~ क्या निर्गुण का भी कोई गुण होता है?<br />~ अनुग्रह का अर्थ क्या है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~