♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />वीडियो जानकारी: 26.03.24, गीता समागम , ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।<br />तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 16<br /><br />खेल प्रकृति का है सब<br />जो हुआ खुद ही हुआ<br />मूढ़ अहम दुख पा रहा<br />सोचकर कि उसने किया<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />अर्थ: <br />कर्म क्या है, अकर्म क्या है, इस विषय में तो बड़े-बड़े ज्ञानी भी संशयग्रस्त रहते हैं, मोहित रहते हैं। तो अब मैं तुमसे कर्म के विषय में और अकर्म आदि के विषय में कहूँगा, जिसको सुनकर तुम्हें मोक्ष मिलेगा।<br /><br />~ कर्म और अकर्म का सिद्धांत क्या है?<br />~ किसको गुलाम बनाना आसान है?<br />~ कर्म का सूचक क्या होता है?<br />~ दो तरह के सकामी कौन से होते हैं?<br />~ दुख से मुक्ति कैसे संभव है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~