♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />~~~~~~~~~~~~~<br /><br />वीडियो जानकारी: पार से उपहार शिविर, 17.04.20, ग्रेटर नॉएडा, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />अतः कथज्चित्स विमुक्त आपदः पुनश्चय सार्थ प्रविशत्यरिन्दम।<br />अध्वन्यमुष्मिननजया निवेशितो भ्रमज्जनोउद्याप न वेद कश्चन॥ <br /><br />भावार्थ: शत्रु दमन ! यदि किसी प्रकार इसे उस आपत्ति से छुटकारा मिल जाता है तो यह फिर अपने गोल में मिल जाता है।<br />जो मनुष्य मायाकी प्रेरणा से एक बार इस मार्ग में पहुँच जाता है, उसे भटकते-भटकते अन्ततक अपने परम पुरुषार्थ <br />का पता नहीं लगता।<br /><br />~ परमहंस गीता (अध्याय ४, श्लोक १९ )<br /><br />~ मनुष्य संसार क्यों आता हैं?<br />~ मनुष्य जीवन में क्यों भटकता है?<br />~ माया के जाल से कैसे बचे?<br />~ मनुष्य संसार में फंसा ही क्यों?<br />~ कामनाओ से मुक्ति कैसे मिले? <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~~~