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नकली धार्मिक आदमी को कैसे पहचानें? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2023)

2024-09-16 3 Dailymotion

‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं? <br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir... <br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं? <br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?... <br /><br />➖➖➖➖➖➖ <br /><br />#acharyaprashant #gita <br /><br />वीडियो जानकारी: 31.12.23, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा <br /><br />प्रसंग: <br />~ धार्मिक आदमी कौन है? <br />~ ज़िंदगी में घटाना आसान है या जोड़ना? <br />~ हटो और घटो, इससे क्या आशय है? <br />~ जो सबकुछ मैं जान रहा हूँ उससे पा क्या रहा हूँ? <br />~ नकली धार्मिक आदमी को कैसे पहचानें? <br /><br />➖➖➖➖➖➖ <br /><br />रैन दिवस पिय संग रहत हैं , <br />मैं पापिन नहिं जाना ॥ <br /><br />मात पिता घर जन्म बीतिया, <br />आया गवन नगिचाना। <br />आजै मिलो पिया अपने से, <br />करिहो कौन बहाना ॥ १ ॥ <br /><br /> मानुष जनम तो बिरथा खोये, <br />राम नाम नहिं जाना। <br />हे सखि मेरो तन मन काँपै, <br />सोई शब्द सुनि काना ॥ २ ॥ <br /><br />रोम-रोम जाके परकाशा, <br />ताको निर्मल ज्ञाना। <br />कहैं कबीर सुनो भाई साधो, <br />करो स्थिर मन ध्याना ॥ ३ ॥ <br />~ कबीर साहब <br /><br />शब्दार्थ: रैन दिवस- रात दिन; गवन- संसार से जाने की दशा; नगिचाना: निकट आना; विरथा- व्यर्थ <br /><br />➖➖➖➖➖➖ <br /><br />श्लोक: <br />एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः । <br />स कालेनेह महता योगो नष्टः परंतप ॥ <br /><br />अन्वय: <br />एवं (इस प्रकार) परम्पराप्राप्तं (परम्परा से प्राप्त) इम् (यह योग) राजा ऋषयः (राजा और ऋषि) विदुः (जानते थे) परन्तप (हे अर्जुन) इह (इस लोक में) स: (वह) योग: (योग) महता (दीर्घ) कालेन (काल से) नष्टः (नष्ट हो गया है) <br /><br />काव्यात्मक अर्थ: <br />परम से ना विलग हों <br />परंपरा बस यही है <br />शेष विषय अतीत के <br />नहीं ज़रूरी नहीं हैं <br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 2 <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते <br />~~~~~

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