♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />वीडियो जानकारी: 15.02.24 , गीता समागम , ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />~ अपने कर्मों को समझने से क्या होगा?<br />~ कर्ता को कैसे पहचानें?<br />~ क्या गीता का यह संदेश है कि अपना कर्म करते रहो?<br />~ असली पापी कौन है?<br />~ गीता के अनुसार कौन सा कर्म करने योग्य है?<br />~ अपने कर्मों पर ध्यान कैसे दें?<br /><br /><br />नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण: ।<br />शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मण: ।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 8<br /><br />कर्म के परित्याग से<br />श्रेष्ठ है नियत कर्म<br />कर्मयात्रा पर चल पड़े<br />जिस क्षण लिया जीव जन्म<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />अर्थ: <br />तुम नियत कर्म करो, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना ही श्रेष्ठ है। फिर कर्म न करने से तुम्हारी शरीर रक्षा भी तो नहीं होगी।<br /><br /><br />श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। <br />स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावह।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 35<br /><br />आत्मा अपनी प्रकृति पराई <br />ध्यान दें और जान लें <br />आत्मा से प्रेम ही धर्म है <br />प्रेम भले ही प्राण ले<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br />अर्थ: <br />नियमबद्ध व विधिपूर्वक किए गए परधर्म की अपेक्षा गुणरहित (प्रकृतिरहित) निजधर्म श्रेष्ठ है।<br />अपने धर्म के पालन में मृत्यु भी कल्याणकारी है, पराया धर्म भयानक है।<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~