♂️ आचार्य प्रशांत से समझे गीता और वेदांत का गहरा अर्थ, लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें:<br />https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />#acharyaprashant #Kaali<br /><br />वीडियो जानकारी: 09.07.22, बातचीत सत्र, ऋषिकेश <br /><br />प्रसंग: <br />बलावलेपादथ चेद्भवन्तो युद्धकाङ्क्षिणः।<br />तदागच्छत तृप्यन्तु मच्छिवाः पिशितेन वः॥<br />देवी कह रही हैं, जो उनकी शक्तियाँ हैं उनको संबोधित करके -<br />यह जो राक्षस हैं इनके माँस का भक्षण करके ही तुम तृप्ति पाओगे।<br />दुर्गा सप्तशती (अध्याय ८, श्लोक २७)<br /><br />तेषां मातृगणो जातो ननर्तासृङ्मदोद्धतः॥ॐ॥<br />यह जो राक्षस हैं इसका रक्त ही मद हैे।<br />दुर्गा सप्तशती (अध्याय ८, श्लोक ६३)<br /><br />इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः।<br />तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव सः।।<br />यज्ञ द्वारा पोषित देवतागण तुम्हें इष्ट भोग प्रदान करेंगे। <br />उनके द्वारा दिये हुये भोगों को जो पुरुष उनको दिए बिना ही भोगता है वह निश्चय ही चोर है।<br />श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ३, श्लोक १२)<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~