♂️ आचार्य प्रशांत से समझे गीता और वेदांत का गहरा अर्थ, लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें:<br />https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />#acharyaprashant<br /><br />वीडियो जानकारी: 30.09.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />असूया : अहंकार द्वारा स्वयं को आत्मा के समतुल्य या समकक्ष समझना।<br />गीता किसके लिए है?<br />इतनी सारी कामनाओं का होना क्या दिखाता है?<br />क्यों कृष्ण को सुनने से पहले मानना पड़ेगा कि हम अधूरे है?<br />श्रद्धा और निष्काम कर्म का क्या अर्थ है?<br /><br />ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः।<br />श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि कर्मभिः।। <br /><br />~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 31<br /><br />अर्थ: <br />जो लोग श्रद्धायुक्त और ईर्ष्या-रहित होकर मेरे इस मत का सदा पालन करते हैं, वे भी कर्म-बंधन से मुक्त हो जाते हैं।<br /><br />सत्य में रख श्रद्धा अपार<br />नमित करके अंहकार<br />गीता की गुनकर के बात<br />आ मुक्त हो भवबंध काट<br /><br />~ आचार्य प्रशांत द्वारा सरल काव्यात्मक अर्थ <br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~