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जानते हो किसके गुलाम हो तुम? || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2023)

2025-02-04 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी: 05.10.23, अष्टावक्र गीता, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />जानते हो किसके गुलाम हो तुम? || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2023)<br /><br />📋 Video Chapters: <br />0:00 - Intro<br />0:53 - मनुष्य की चुनौती: श्रम और आराम के बीच संघर्ष<br />9:17 - मशीनों का विकास: श्रम का बदलता स्वरूप<br />16:53 - भीतरी श्रम और मानसिक संघर्ष ; आधुनिक चुनौती <br />23:34 - भीतरी श्रम की समस्या का समाधान <br />35:33 - अनुभव बनाम बंधनों का निरीक्षण<br />41:59 - निष्कामता की उत्पत्ति <br />47:59 - कामना बनाम कामनाएँ <br />53:30 - निरीक्षण से निर्वाण तक <br />56:04 - समापन <br /><br />विवरण:<br />इस वीडियो में आचार्य जी ने जीवन में श्रम और आंतरिक संघर्ष के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि बाहरी श्रम की समस्या का समाधान विज्ञान और तकनीकी प्रगति से हो गया है, लेकिन आंतरिक श्रम की समस्या अभी भी बनी हुई है। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि मनुष्य को अपने भीतर के संघर्षों का सामना करना पड़ता है, जिसमें संकल्प और विकल्पों के बीच की खींचतान शामिल है।<br /><br />आचार्य जी ने बताया कि जब हम सही काम चुनते हैं, तो हमें अपने भीतर से प्रेरणा और उत्साह की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी कहा कि अहंकार और बंधनों से मुक्ति पाने के लिए आत्मज्ञान की आवश्यकता है। आचार्य जी ने यह भी बताया कि आंतरिक श्रम का समाधान आत्म निरीक्षण और निर्भरता से होता है।<br /><br />आखिर में, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जब हम अपने भीतर के विकल्पों को समझते हैं और सही दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो हम आंतरिक शांति और संतोष प्राप्त कर सकते हैं।<br /><br />प्रसंग: <br />~ भीतरी श्रम की समस्या क्यों है?<br />~ अहंकार क्या है?<br />~ बाहरी श्रम की समस्या का समाधान कैसे हो गया?<br />~ क्यों आज के आदमी के लिए जिम और स्पोर्ट्स एक बहुत बड़ी जरूरत बन गई हैं? <br />~ मुल्क जितना विकसित होता है, उसके मेडल स्पोर्ट्स में उतने ज्यादा क्यों होते हैं?<br />~ क्यों कोई गरीब मुल्क पदक तालिका में ऊपर नहीं दिखता?<br />~ साम्यवाद अप्रासंगिक क्यों होता चला गया?<br />~ आराम (leisure) का सदुपयोग कैसे करें?<br /><br />यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बन्धनं तदा। <br />मत्वेति हेलया किञ्चित् मा गृहाण विमुञ्च मा ॥ <br />अष्टावक्र गीता - 8.4<br /><br />अनुवाद: <br />जब 'मैं' नहीं है, तब मोक्ष है और जब 'मैं' है, तब बंधन है। <br />यह जानकर जरा भी ज़ोर लगाए बिना, वह मुक्त हो जाता है।<br /><br />References:<br />Data | Does economy determine a country's performance at Olympics?: https://www.thehindu.com/data/data-does-economy-determine-a-countrys-performance-at-olympics/article61430189.ece<br /><br />Marx's theory of alienation: https://en.wikipedia.org/wiki/Marx%27s_theory_of_alienation<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~

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