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कर्तव्य निभा रहे हो, या लूटे जा रहे हो? कर्तव्य माने प्रेम, या शोषण? || आचार्य प्रशांत (2024)

2025-03-03 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी: 23.12.24, भगवद् गीता, ग्रेटर नोएडा <br /><br />कर्तव्य पूरा करने के नाम पर लूट तो नहीं रहे? कर्तव्य माने प्रेम या शोषण? || आचार्य प्रशांत (2024) <br /><br />विवरण: <br />आचार्य प्रशांत ने कर्तव्य की अवधारणा और उसके पीछे छिपे शोषण के तंत्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि कई बार कर्तव्य को प्रेम का पर्याय मान लिया जाता है, जबकि असल में यह परस्पर शोषण का माध्यम बन जाता है। समाज में कर्तव्य निभाने के नाम पर व्यक्ति को भावनात्मक और मानसिक रूप से जकड़ लिया जाता है, जिससे उसका असली विकास रुक जाता है। उन्होंने कहा कि सच्चा कर्तव्य वही है जो चेतना को ऊँचाई पर ले जाए, न कि व्यक्ति को उसी बंधन में बनाए रखे। कमजोरों की मदद का मतलब उनकी निर्भरता बढ़ाना नहीं, बल्कि उन्हें सक्षम बनाना है। मोरल साइंस और समाज द्वारा सिखाई गई कर्तव्य की परिभाषा कई बार हमें अपनी ही कमजोरियों को पोषित करने पर मजबूर करती है। आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि प्रेम और कर्तव्य तब तक वास्तविक नहीं हो सकते जब तक वे व्यक्ति को स्वतंत्रता और आत्मबोध की ओर न ले जाएं। <br /><br />🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर: <br />https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06 <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते <br />~~~~~

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