<p>तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में स्थित कोडियाक्कडू का रामर पदम जंगल, जो वर्ष 2018 में आए चक्रवात 'गाजा' से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, अब पुनः हरा-भरा हो गया है. यह क्षेत्र वेदारण्यम वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है और लगभग 257 हेक्टेयर में फैला हुआ है. यह जंगल अब सौ से अधिक दुर्लभ औषधीय पौधों की प्रजातियों का घर बन चुका है, जो पारंपरिक सिद्ध चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन जड़ी-बूटियों का उपयोग जोड़ों के दर्द, मधुमेह, हड्डी टूटने और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है. तमिलनाडु वन विभाग के अधिकारी इस पारिस्थितिक पुनरुत्थान को संरक्षित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. स्थानीय स्तर पर हर्बल अनुसंधान केंद्र और पौधा वितरण सुविधा की मांग भी तेज हो गई है, ताकि इन जड़ी-बूटियों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा मिल सके.</p>