<p>श्रीकाकुलम: आमतौर पर ज्यादातर लोग चींटियों से दूर भागते हैं. आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मान्यम जिले की पहाड़ियों पर आदिवासी समुदाय के लोग लाल चींटी की चटनी खाते हैं. जो ज्यादातर अप्रैल और जून के महीने में आम और काजू के पेड़ों पर पाई जाती हैं. यहां रहने वाले लोग ऊंचे पेड़ों पर चढ़कर पत्तों वाले घोंसलों से चींटियों को इकट्ठा करते हैं और फिर उसे साफ किया जाता है. इसके बाद चींटियों को लकड़ी के चूल्हे पर पकाकर चटनी तैयार की जाती है.</p><p>देश के कई हिस्सों में चींटियां खाने की परंपरा है, लेकिन यहां के आदिवासी समुदायों के लिए ये सिर्फ एक खाना नहीं, बल्कि गौरवशाली परंपरा है. कहा जाता है कि ये स्वास्थ्य को तंदुरुस्त रखती हैं और आंखों की रोशनी बढ़ाती है. डॉक्टर भी लाल चींटियों को सेहत के लिए अच्छा मानते हैं लेकिन उनका ये भी कहना है कि इन्हें गलत तरीके से तैयार करने से एलर्जी या किसी और तरह की दिक्कत हो सकती है.</p><p>"इन लाल चींटियों को खाने का फायदा ये है कि इनमें फ़ॉर्मिक एसिड होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं. ये प्रोटीन, ज़िंक और कैल्शियम से भी भरपूर होती हैं. हालांकि, अगर इन्हें ठीक से न पकाया जाए, तो ये फूड एलर्जी का कारण बन सकती हैं. गलत तरीके से पकाने से शरीर में यूरिक एसिड का स्तर भी बढ़ सकता है."- डॉ. संदीप</p>