कैसे एक चोरी ने भीष्म पितामह को धरती पर सबसे महान योद्धा बना दिया?<br /><br />भीष्म पितामह, महाभारत के महान योद्धा, अपने पूर्व जन्म में वसु 'द्यो' थे। उनकी पत्नी को ऋषि वशिष्ठ की दिव्य नंदिनी गाय अत्यंत प्रिय लगी, और उन्होंने इसे प्राप्त करने की जिद की। पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए, द्यो वसु ने अपने भाइयों के साथ मिलकर गाय को चुरा लिया। लेकिन ऋषि वशिष्ठ ने अपने तपोबल से यह देख लिया और क्रोधित होकर सभी वसुओं को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। बाकी वसु तो जल्द मुक्त हो गए, लेकिन द्यो वसु को अपने कर्मों का दंड पूरा भोगना पड़ा और वे महाराज शांतनु के पुत्र देवव्रत के रूप में जन्मे, जो आगे चलकर भीष्म पितामह बने। उनका जीवन कठिन तपस्या, त्याग और कर्तव्य की मिसाल बन गया।<br /><br />यह कथा हमें सिखाती है कि कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है, और नियति किसी को नहीं छोड़ती।<br /><br /><br />#भीष्म_पितामह #महाभारत #वसु #ऋषि_वशिष्ठ #नंदिनी_गाय #पौराणिक_कथा #कर्म_का_फल #हिंदू_धर्म #पुनर्जन्म #धर्म_और_न्याय #शाप_और_भाग्य