बिल्कुल! यहाँ एक सुंदर और प्रभावशाली विवरण है आपके वाक्य "परमेश्वर केवल मैं ही हूँ" के लिए:<br /><br /><br />---<br /><br />🌿 परमेश्वर केवल मैं ही हूँ<br />यह वाक्य हमें परमेश्वर की सर्वोच्चता और अद्वितीयता का स्मरण दिलाता है। वह अनादि है, अनंत है और सृष्टि के कण-कण में व्याप्त होकर भी स्वयं में अखंड और पूर्ण है। उसके समान कोई दूसरा नहीं — न शक्ति में, न ज्ञान में और न करुणा में। वही आदि और अंत है, वही जीवन का स्रोत है, वही सत्य का अंतिम स्वरूप है। जब हम कहते हैं "परमेश्वर केवल मैं ही हूँ", तो यह उस एकमात्र सच्चे ईश्वर की घोषणा है, जो सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक और सर्वज्ञ है — जो हमारे हृदयों में वास करता है और हर जीव को अपनी दिव्य उपस्थिति से आलोकित करता है।<br /><br /><br />---<br /><br />अगर चाहें, तो इसे और भी भक्ति-भाव, काव्यात्मक शैली या छोटे उद्धरण के रूप में भी लिख सकता हूँ। बताइए! 🌸✨<br /><br />