🕉️ शिव निर्वाण षटकम् – विवरण एवं अर्थ<br />शिव निर्वाण षटकम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अद्वैत वेदांत आधारित स्तोत्र है, जिसमें आत्मा की शुद्ध, निराकार और चिदानंद स्वरूप की अनुभूति को व्यक्त किया गया है। यह छह श्लोकों का संग्रह है, जिसमें साधक स्वयं को शरीर, मन, इंद्रियाँ, भावनाएँ और सांसारिक बंधनों से परे मानते हुए “शिवोऽहम्” (मैं शिव हूँ) का उद्घोष करता है।<br />मुख्य भावार्थ<br />• शरीर से परे: “मैं न मन हूँ, न बुद्धि, न अहंकार” – आत्मा को पंचकोश और इंद्रियों से अलग बताया गया है।<br />• भावनाओं से परे: द्वेष, राग, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या आदि से मुक्त स्वरूप।<br />• सांसारिक धर्मों से परे: धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, पुण्य-पाप, सुख-दुख से परे आत्मा।<br />• बंधनों से परे: जन्म, मृत्यु, जाति, संबंध, गुरु-शिष्य आदि से परे।<br />• शुद्ध चिदानंद स्वरूप: आत्मा का स्वरूप केवल “चिदानंद” है – शुद्ध चेतना और आनंद।<br />🌟 आध्यात्मिक महत्व<br />• आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन<br />• अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का सरल प्रस्तुतीकरण<br />• मोक्ष की प्राप्ति हेतु उपयुक्त साधना<br />• मानसिक शांति, समत्व और आत्म-शुद्धि का अनुभव<br /><br />✔ गीत एवं वोकल्स: MindSet<br />✔ म्यूजिक अरेंजमेंट: Concept Chords<br /><br />Shiva Nirvana Shatakam, a six-verse hymn by Adi Shankaracharya that reveals the pure blissful nature of the soul. Learn its meaning, spiritual significance, and how it guides seekers toward self-realization and liberation.<br /><br />#ShivaNirvanaShatakam #Shivoham #AdvaitaVedanta #AdiShankaracharya #SpiritualWisdom<br />#शिवनिर्वाणषटकम् #शिवोहम् #अद्वैतवेदांत #आत्मसाक्षात्कार #शंकराचार्य