<p>तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में सोरिमुथु अय्यनार मंदिर में देवताओं के सम्मान की अनूठी परंपरा है. भक्त भगवान अय्यनार के साथी पट्टावरायण को नए जूते-चप्पल चढ़ाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक यहां के ग्रामीण गांव की रक्षा के लिए जंगलों में नंगे पांव चले थे. पुजारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि ये चढ़ावा भक्ति का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि इससे भक्तों के पैरों को दर्द नहीं होता और चोट भी नहीं लगती. कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के अंदर ये मंदिर इलाके की समृद्ध पारंपरिक प्रथाओं को कायम रखे हुए है. ऐसा माना जाता है कि भगवान रात में शिकार पर जाने के लिए इन जूतों-चप्पलों को पहनते हैं. यहां पैरों के निशान भी देखे गए हैं.</p>