सुनहरी नगरी जैसलमेर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर, पर्यटन और स्वच्छता के लिए जानी जाती है, इन दिनों अव्यवस्थाओं की बेडिय़ों में जकड़ी हुई नजर आ रही है। देश के साथ यह सीमांत शहर भी महज 10 दिन बाद आजादी का जश्न मनाएगा लेकिन इस अहम राष्ट्रीय पर्व से पहले शहर की सूरत को सुधार की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। शहर के कई हिस्सों में साफ-सफाई की स्थिति बिगड़ गई है, वहीं मुख्य मार्गों पर लगाए गए पत्थर के कलात्मक डिवाइडर टूट-फूट का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही, कई इलाकों में रोड लाइटें अनियमित रूप से जलने से रात के समय राहगीरों को परेशानी उठानी पड़ रही है। गत अर्से के दौरान मानसून की बारिश के बाद सडक़ों पर गड्ढों की समस्या बढ़ गई है। मुख्य बाजार, हनुमान चौराहा, जैन भवन के पास, गीता आश्रम से कलाकार कॉलोनी सडक़, गांधी चौक से लेकर किले के आस-पास तक कई सडक़ों पर बने गहरे गड्ढे यातायात को प्रभावित कर रहे हैं। दुपहिया वाहन चालकों और स्थानीय आमजन के साथ पर्यटकों को इन गड्ढों से गुजरते समय हादसों का डर सताता है।<br /><br />साफ-सफाई व्यवस्था पर सवालिया निशान<br /><br />जैसलमेर ने पिछले दिनों भले ही राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता सर्वेक्षण में घर-घर कचरा संग्रहण और दूसरे मानकों में अच्छा काम कर बेहतरीन रैंक हासिल की हो लेकिन वर्तमान में शहर में कई जगहों पर गंदगी व कूड़ा-करकट बिखरा रहने से शहर की सूरत बिगड़ रही है। नगरपरिषद की ओर से नियमित सफाई व्यवस्था पर प्रभावी मोनेटरिंग न होने से कचरा जमा हो रहा है, जिससे दुर्गंध और मच्छरों की समस्या बढ़ रही है। शहर के गोलकुंडा, चैनपुरा के अंतिम हिस्से से लेकर गड़ीसर प्रोल, शिव मार्ग के साथ आवासीय कॉलोनियों में दिन के समय कचरा बिखरा हुआ नजर आ जाता है। उस पर स्वच्छंद घूमते पशुओं का जमावड़ा गंदगी में और इजाफा कर रहा है।