<p>हुबली के बेंगेरी में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ, खादी के राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए देशभर में प्रसिद्ध है और ये देश की एकमात्र ऑथराइज्ड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी है, लेकिन 2022 में सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन के बाद पॉलिएस्टर तिरंगे के उत्पादन को मंजूरी दी, जिसके बाद खादी के तिरंगे की बिक्री में काफी गिरावट दर्ज की गई. कभी करोड़ों का कारोबार करने वाली इस यूनिट ने इस साल केवल कुछ लाख रुपये ही कमाए हैं. लगभग 35 से 40 महिलाएं सिलाई, प्रिंटिंग और फिनिशिंग का काम संभालती हैं, और इससे संबंधित कार्यों में लगभग 400 कर्मचारी उनकी सहायता करते हैं. मांग में कमी की वजह से यहां काम करने वाले कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है इसलिए इन कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। इसलिए उन्होंने लोगों से इस बार खादी का तिरंगा खरीदने की अपील की है. कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ के सचिव के मुताबिक, 2022 के 'हर घर तिरंगा' अभियान के दौरान बिक्री 4 करोड़ रुपये को पार कर गई थी, लेकिन सरकार ने जब पॉलिएस्टर झंडे के निर्माण को मंजूरी दी तो स्थिति बदल गई. जब तक पॉलिएस्टर तिरंगा बाजार पर हावी रहेगा. खादी के तिरंगा बनाने वाली यूनिट के श्रमिकों को डर है कि अगर सरकार और नागरिकों ने उन्हें तत्काल समर्थन नहीं दिया तो ये पारंपरिक शिल्प और सैकड़ों कारीगरों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है.</p>