<p>जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में कुछ वक्त पहले तक चहल-पहल दिखती थी. अब यहां हर तरफ तबाही का मंजर है और खामोशी पसरी हुई है.<br>दुकानें बंद हैं, रेस्टोरेंट खाली हैं और जो सड़कें कभी तीर्थयात्रियों से गुलजार रहती थी, वे वीरान हैं. 14 अगस्त को पवित्र मचैल माता मंदिर के मार्ग पर बसे गांव चशोती में बादल फटने से भारी तबाही हुई. अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है, लगभग 100 घायल हैं और 80 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं. इस आपदा की वजह से सालाना मचैल यात्रा को भी स्थगित करना पड़ा. इससे इलाके की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है. छोटे व्यापारी, ट्रांसपोर्टर और होटल व्यवसायियों समेत कई दूसरे लोग अपनी कमाई के लिए सालाना तीर्थयात्रा पर निर्भर रहते हैं. उनका कहना है कि इलाके में हुई तबाही के बाद अब उनके सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है. 25 जुलाई से शुरू होकर पांच सितंबर को खत्म होने वाली मचैल माता यात्रा मंगलवार को लगातार छठे दिन भी स्थगित रही.</p>