Lipulekh पर Nepal को India का कड़ा जवाब, MEA ने खोली 200 साल पुरानी पोल | Breaking News <br />जानिए क्यों भारत और चीन के बीच व्यापार शुरू होते ही नेपाल ने आपत्ति जताई और भारत ने उसे कैसे सिरे से खारिज कर दिया। <br />भारत और चीन ने लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जिसके बाद नेपाल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। नेपाल का दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसके अभिन्न अंग हैं। इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि कैसे भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल के इन दावों को ऐतिहासिक तथ्यों के बिना और एकतरफा बताकर खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ़ कहा कि इस मार्ग से भारत-चीन का व्यापार 1954 से चल रहा है और नेपाल के दावे निराधार हैं। <br />यह लिपुलेख दर्रा आखिर है क्या और भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित यह दर्रा भारत, नेपाल और चीन के ट्राई-जंक्शन पर है। यह न सिर्फ कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक प्रमुख मार्ग है, बल्कि सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। हमने इस वीडियो में लिपुलेख के पूरे इतिहास को खंगाला है, जिसमें 1816 की सुगौली की संधि से लेकर आज तक के सभी घटनाक्रम शामिल हैं। <br />यह पहली बार नहीं है जब नेपाल ने इस मुद्दे को उठाया है। 2020 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख तक जाने वाली 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, तब भी नेपाल ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इस वीडियो में विस्तार से जानें कि क्या नेपाल के दावों में कोई सच्चाई है और भारत का अगला कदम क्या हो सकता है। <br />About the Story: <br />India has firmly rejected Nepal's objections to the resumption of trade with China through the Lipulekh Pass. The Indian Ministry of External Affairs (MEA) stated that this trade route has been active since 1954 and Nepal's territorial claims over Lipulekh, Kalapani, and Limpiyadhura are not based on historical facts. This video delves into the history of the India-Nepal border dispute, the strategic importance of the Lipulekh Pass located in Uttarakhand, and the details of the Sugauli Treaty. <br /> <br />#LipulekhPass #IndiaNepalRelations #China #Nepal #BreakingNews #OneindiaHindi<br /><br />~ED.276~HT.408~GR.124~