<p>कर्नाटक में मंगलुरू के मालेमर में साधारण कबाड़ की दुकान दिखने वाली ये जगह दरअसल अतीत की समृद्ध कलाकृतियों का घर है. ये हैं, कुलूर के कबाड़ व्यापारी इब्राहिम कलील. इन्होंने अपनी दुकान को बेकार सामानों के संग्रहालय में बदल दिया है. ये छात्रों को अध्ययन के लिए मुफ्त साधन भी उपलब्ध कराते हैं. कबाड़ की दुकान में विजिटर्स की भरमार रहती है. उन्हें दुर्लभ प्राचीन सिक्के, टेप रिकॉर्डर, टेलीफोन, लालटेन और पुरानी किताबें खींचती हैं. ये संग्रह सभी उम्र के लोगों को आकर्षित करता है. इब्राहिम की कोशिश इस बात का सबूत है कि जुनून और रचनात्मकता बेकार कहलाने वाले सामानों को भी खजाने में बदल सकती है. ये युवा पीढ़ी के लिए अतीत से जुड़ने का अनूठा माध्यम है.</p>
