Intro:Body:<p>मध्यप्रदेश के छतरपुर की नन्ही कलाकार अपनी बुंदेलखंडी आवाज में कमाल कर रही है.धार्मिक आयोजनों में इसकी डिमांड बढ़ जाती है. इसके सुर जितने मुधर हैं उतनी ही दर्द भरी इसकी जिंदगी है. पिता की हत्या के बाद ये मासूम दर्द में जी रही थी. फिर ये अपने दादा के पास जाकर गुमसुम बैठने लगी. फिर भजन का सहारा मिला. दादा जी ने भजन गाने के गुर सिखाए. आज इस मासूम को 300 भजन याद है. पढ़ाई और भजन गायकी . दोनों साथ साथ चल रही है. मां इसको बढ़ा होकर अधिकारी बनते देखना चाहती है, लेकिन बेटी बचपन से ही समाज में अपनी भजन गायकी से पहचान बनाने में जुटी है.</p>Conclusion: