<p>भीलवाड़ा: पांच-पांच पीढ़ियों से वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में रह रहे 400 बंगाली परिवारों ने मेवाड़ी संस्कृति में घुल-मिल जाने के बावजूद दुर्गापूजा पर्व पारंपरिक रीति-रिवाज और आस्था के साथ मनाया. यह पर्व नेताजी सुभाष बंगाली समिति की अगुवाई में मनाया गया. नवरात्रि के बाद दशहरे पर बंगाली परिवार की महिलाएं अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने आईं. इस दौरान सिंदूर खेला के साथ मां की विदाई की बेला भी आई. इसमें शामिल बंगाली महिलाओं ने पहले मां की विशेष पूजा-अर्चना की. इसके बाद बंगाली महिलाएं एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरती नजर आईं. नेताजी सुभाष बंगाली समिति के अध्यक्ष अजय सिन्हा ने बताया कि 28 साल से भीलवाड़ा में दुर्गा पूजा भव्य रूप से जारी है. राखी घोष ने कहा कि दुर्गा पूजा का साल भर इंतजार रहता है. मां दुर्गा नवरात्रि स्थापना से ही अपने परिवार के साथ अपने पीहर आती है. नवरात्रि के बाद विजयदशमी को आपस में मांग में सिंदूर भरते हैं और मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है.</p>