हिण्डौनसिटी. एक दौर था जब चिट्ठियों में भावनाएं बसती थीं, पोस्टकार्ड पर रिश्तों की गर्माहट उतरती थी और डाकिए घर-घर खुशखबरी पहुंचाते थे। समय के बदलाव के साथ अब डाकघरों में चिट्ठी-पत्रों की दुनिया सिमटती नजर आ रही है। डिजिटल युग की दौड़ में सोशल मीडिया और ई-मेल ने कागज पर लिखी चिट्ठियों की जगह ले ली है, लेकिन डाक विभाग भी समय के साथ कदमताल कर रहा है।