<p>कैक्टस यानी नागफनी के पौधे को बेकार समझा जाता है. कांटों की वजह से उसे जानवर भी नहीं खाते, लेकिन अब कैक्टस लोगों की कमाई का जरिया बन रहा है. राजस्थान के जोधपुर में इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान यानी काजरी किसानों को बिना कांटों वाला कैक्टस मुहैया करा रहा है.. </p><p>कैक्टस का जूस स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है. इसकी वजह से बाजार में उसकी डिमांड है. किसान इसके फलों का जूस निकालकर बेच सकते हैं. कैक्टस से बनी विगन-लैदर से जैकेट, बेल्ट, पर्स जैसी चीजें बनाई जा सकती हैं. कैक्टस से बायो-फर्टिलाइजर तैयार किया जा सकता है. इससे बायो-फ्यूल भी बनाया जा सकता है. कई कारोबारी किसानों से कैक्टस खरीदकर उसका प्रोसेसिंग कर बाजार में बेच रहे हैं.. </p><p>काजरी के वैज्ञानिकों ने मोरक्को से आई कैक्टस की कई प्रजातियों पर अध्ययन किया. उनमें बिना कांटे वाली प्रजाति को पशुओं के चारे के लिए उपयोगी पाया. बिना कांटों वाले कैक्टस का एक तना दस रुपए में मिलता है. एक हैक्टयर में करीब दस हजार पौधे लगते हैं. एक बार लगाने के बाद इसका उत्पादन हर दो माह में लिया जाता हैं. कम पानी वाले स्थानों में कैक्टस की खेती किसानों के लिए आमदनी का अच्छा जरिया साबित हो सकता है. </p>
