<p> रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिन की भारत यात्रा के दौरान सबकी नजरें एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर टिकी हैं. भारतीय सेना ने इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान किया था। वायुसेना ने इसे "गेम-चेंजर" बताया था.</p><p>रूसी अधिकारियों ने बताया कि एस-400 डिफेंस सिस्टम की बिक्री एजेंडे में सबसे ऊपर है. हालांकि, अब धीरे-धीरे सबका ध्यान एस-500 की ओर है. ये एस-400 से कई गुना बेहतर और एडवांस है.</p><p>एस-400 डिफेंस सिस्टम जहां एयरक्राफ्ट, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को टारगेट करता है, वहीं एस-500 सिस्टम को आईसीबीएम, हाइपरसोनिक हथियारों और यहां तक कि सैटेलाइट जैसे स्ट्रेटेजिक खतरों के लिए डिजाइन किया गया है.</p><p>इसकी रेंज एस-400 से करीब दोगुनी है, साथ ही इसकी ऊंचाई पर मार करने की क्षमता और स्पीड भी काफी ज्यादा है.</p><p>2021 में जब इसे लॉन्च किया गया था, उस वक्त रूसी अधिकारियों ने कहा था कि भारत इसका पहला खरीददार हो सकता है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस डील में सिर्फ डायरेक्ट इंपोर्ट ही नहीं, बल्कि पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और को-प्रोडक्शन भी शामिल हो सकता है.</p><p>रूस के साथ अगर ये डील फाइनल होती है तो ये भारत की एयर-डिफेंस क्षमताओं में नए युग की शुरुआत होगी। आसमान से लेकर अंतरिक्ष तक भारत की ताकत में इजाफा होगा.</p>
