नई दिल्ली में 'नेहरू केंद्र भारत' के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि नेहरू इस बात को बखूबी समझते थे कि भविष्य में 'कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग और स्प्रिचियुअल प्रेयर' साथ-साथ चलेंगे। वे जानते थे कि तकनीक के चलते समाज में जो आध्यात्मिक खालीपन पैदा होगा, उससे निपटना होगा और उसके रास्ते खोजने होंगे। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि नेहरू की आध्यात्मिक समझ उतनी भोथरी नहीं थी, जितनी की कुछ लोग समझते हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं, उसमें नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद की प्रासंगिकता पहले से कहीं ज्यादा है और बर्लिन सेंटर जैसे 'थिंक टैंक' भी मानते हैं कि ट्रंपशाही जैसी चीजों का जवाब लोकतांत्रिक समाजवाद ही है। <br />#congress #panditjawaharlalnehru
